बदरीनाथ और केदारनाथ धाम की यात्रा 30 जून तक नहीं शुरू होगी। यह फैसला जिला प्रशासन चमोली-रुद्रप्रयाग और हक-हकूकधारियों (मंदिर की व्यवस्थाएं देखने वाले ग्रामीण) की बैठक में लिया गया। राज्य सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को इस पर हक-हकूधारियों से बातचीत के बाद निर्णय लेने का अधिकार दिया था। इन सभी पक्षों की सोमवार दोपहर बैठक हुई।चारधाम यात्रा शुरू करने का जिम्मा उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को सौंपे जाने के सरकार के फैसले के बाद बोर्ड सक्रिय हो गया है। बोर्ड के सीईओ एवं गढ़वाल कमिश्नर रविनाथ रमन के अनुसार, हक-हकूकधारियों की राय के आधार पर ही यात्रा के संबंध में फैसला लिया गया। इस क्रम में चमोली व रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी सोमवार को बदरीनाथ व केदारनाथ के तीर्थ पुरोहितों, हक-हकूकधारियों के साथ बैठक कर विमर्श किया गया। जिसमें बदरीनाथ और केदारनाथ धाम की यात्रा 30 जून तक नहीं शुरू करने का फैसला लिया गया। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के हक-हकूकधारी फिलहाल चारधाम यात्रा के पक्ष में नहीं हैं। वे यात्रा शुरू करने का निरंतर विरोध भी करते आ रहे हैं। उनकी आशंका ये है कि यदि चारधाम यात्रा शुरू हुई तो इन क्षेत्रों में भी कोरोना संक्रमण की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इस बीच प्रदेश सरकार ने भी यात्रा के मद्देनजर फैसला लेने का जिम्मा चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को सौंपा है। इसे देखते हुए बोर्ड सभी पहलुओं पर मंथन में जुट गया है। बोर्ड के सीईओ एवं गढ़वाल मंडलायुक्त रविनाथ रमन ने बताया कि सोमवार को चमोली के जिलाधिकारी जोशीमठ में बदरीनाथ और गुप्तकाशी में रुद्रप्रयाग के डीएम केदारनाथ के तीर्थ पुराहितों, हक-हकूकधारियों के साथ बैठक की।
29 अप्रैल को विधि विधान के साथ खोले गए केदारनाथ के कपाट
बारह ज्योतिर्लिंगों में शामिल भगवान केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल को सुबह मेष लग्न में छह बजकर 10 मिनट पर विधि-विधान पूर्वक खोल दिए गए। मंदिर में प्रथम पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से हुई। इस दौरान शारीरिक दूरी के नियमों का पूरी तरह पालन किया गया। केदारनाथ यात्रा के इतिहास में यह पहला मौका था, जब कपाट खुलने के मौके पर एक भी भक्त मौजूद नहीं था। चमोली जिले में समुद्रतल से 10276 फीट की ऊंचाई पर स्थित भू-वैकुंठ श्री बदरीनाथ धाम के कपाट धनिष्ठा नक्षत्र में बीती 15 मई को तड़के 4.30 बजे सादगीपूर्वक ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए। कपाट खुलने के अवसर पर मंदिर में मुख्य पुजारी व धर्माधिकारी समेत कुल 28 लोग मौजूद रहे। मंदिर में पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से हुई, जिसमें यजमान के रूप में पं.ऋषि प्रसाद सती शामिल हुए। उन्होंने प्रधानमंत्री के नाम से 4300 रुपये की रसीद कटवाई। इसके अलावा 145 अन्य लोगों के नाम की पूजाएं भी इस मौके पर हुईं। इन सभी ने पूजाओं के लिए ऑनलाइन बुकिंग कराई हुई थी। इस मौके पर धाम में मौजूद बामणी व माणा गांव के लोगों ने भी शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए अखंड ज्योति के दर्शन किए।