
कहाँ तक पहुँची कोरोना की वैक्सीन ? #SHARE #COMMENT #AMBALABREAKINGNEWS तकरीबन 50 हज़ार से ज्यादा कोरोना के मामले भारत में हर रोज़ आ रहे है और हर दिन 550 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही हैं। भारत दुनिया में दूसरा कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला देश बन चुका है, ऐसे में बहुत जरूरी है कि कोई वैक्सीन, दवाई या कोई इलाज मिले ताकि इस खतरनाक वायरस से उबरा जा सके। दुनिया भर में वैक्सीन की रेस में सबसे आगे चल रहे एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) और यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफ़ोर्ड की "कोविशील्ड" (Covishield) वैक्सीन का ट्रायल भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की मदद से हो रहा है, भारत मे बढ़ते कोरोना के मामले को देखते हुए इस वैक्सीन का फेज 2 और फेज 3 ट्रायल एक साथ किया जा रहा है। हालांकि अभी इस वैक्सीन के ट्रायल को, यूके में ट्रायल के दौरान एक उम्मीदवार के बीमार हो जाने की वजह से, रोक दिया गया है लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि उसकी तबीयत इस वैक्सीन के वजह से ही बिगड़ी है। यूके के सेफ्टी रिव्यु कमिटी और एमएचआरए (MHRA (Medicine and Healthcare products Regulatory Agency)) के ट्रायल को रिव्यु करने के बाद यूके में फिर से ट्रायल शुरू कर दिया गया है लेकिन भारत में अभी इस वैक्सीन का ट्रायल रुका हुआ है और सरकार की अनुमति का इंतज़ार है। भारत बायोटेक (Bharat Biotech), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) की मदद से भारत में बने कोरोना वायरस की वैक्सीन "कोवाक्सिन" (Covaxin) का पहला चरण यानी एनिमल ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा हो गया है और इसके दूसरे चरण की शुरआत भी हो गयी है और अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले वर्ष की पहली तिमाही में वैक्सीन बाजार में आ सकती है। भारत में अभी सात कंपनियां, भारत बायोटेक (Bharat Biotech), सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India), जाइडस कैडिला (Zydus Cadila), इंडियन इममुनोलोगिकल्स (Indian Immunologicals), पैनेसिया बायोटेक (Panacea Biotech), मिनवेक्स (Mynvax), और बायोलोगिकल्स ई (Biologicals E) अलग अलग वैक्सीन पर काम कर रही है। रूस ने भी "स्पुतनिक वी" (Sputnik V) नाम से वैक्सीन बनाई है और आधिकारिक रूप से घोषित भी कर दिया है लेकिन लोग उस वैक्सीन पर इसीलिए विश्वास नहीं कर रहे क्योंकि इस वैक्सीन का तीसरा चरण नहीं हुआ है। हालांकि रूस अभी भी यही कह रहा है कि उसकी वैक्सीन सुरक्षित और कारगर है। तो कुल मिला कर बात यही है कि वैक्सीन आने में कम से कम 2 से 3 महीने और लग सकते है और सबसे ज्यादा उम्मीद एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन से ही है। भारत मे भी वैक्सीन की खोज और ट्रायल जोरों पर है लेकिन अभी इसमें थोड़ा और वक़्त लग सकता है तब तक हमे खुद को और दूसरों को मास्क, सैनिटाइजर, और सोशल डिस्टनसिंग की मदद से बचा कर रखना है और यह उम्मीद करनी चाहिए कि अगले साल के पहली तिमाही में हमें एक सुरक्षित वैक्सीन मिल सके।
जनता का विश्वाश है कि उन के काम तो विज ही करवा सकता है, ये दरबार फिर से शुरू होना चाहिए जिस से दरबार में आने वालों को हर सुविधा हो , अब तो उन्हे मजबूरन धूप में, बारिश में लाइन लगा कर घंटो खड़े रहना पड़ता है।