
ABN : कोरोना महामारी ने पारंपरिक तरीकों से चल रहे भारतीय बाजारों और खरीदारी के तरीके में बड़ा बदलाव ला दिया है। इस बदलाव ने एक झटके में ई-कॉमर्स और ई-फार्मेसी के कारोबार में बड़ा उछाल ला दिया है।बदलते दौर को भांपते हुए खुदरा कारोबार में उतर चुकी रिलायंस रिटेल अब ऑनलाइन फार्मेसी कारोबार में भी उतर गई है। रिलायंस ने विटालिक हेल्थ की 60 फीसदी शेयर 620 करोड़ में खरीदी है। अमेजन इंडिया ने भी ऑनलाइन दवा बेचने का ऐलान किया है। फ्लिपकार्ट भी ई-फॉर्मेसी में उतरने की तैयारी कर रही है। पहले से करीब 50 कंपनियां देश के अलग-अलग हिस्सों में ऑनलाइन दवा बेचने का काम कर रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि रिलायंस, अमेजन और फ्लिपकार्ट की एंट्री से दवा बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ने वाली है। इसका फायदा ग्राहकों को दवा खरीदारी पर कई तरह के छूट के तौर पर मिलेगी।
रिलायंस रिटेल ने विटालिक हेल्थ में 60 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के साथ-साथ इसकी सहायक कंपनी त्रिसारा हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड, नेटमेड्स और दाधा फार्मा की 100 फीसदी डायरेक्ट इक्विटी ऑनरशिप खरीद ली है। इस निवेश के बारे में आरआरवीएल की निदेशक ईशा अंबानी ने कहा कि भारत में हर किसी के लिए डिजिटल पहुंच प्रदान करने के लिए हमने अपनी प्रतिबद्धता के साथ यह डील की है।
कोरोना काल में ऑनलाइन फार्मेसी पर ट्रैफिक 200 फीसदी तक बढ़ा है। 1 एम जी, फार्म इजी,नेट मेड जैसी ई फार्मेसी एप से दवा की खूब खरीदारी हुई है। बिना किसी संपर्क के तेज रफ्तार से अपने दरवाजे पर दवा मंगाने के लिए लोग धड़ल्ले से ऑनलाइन शॉपिंग का सहारा ले रहे हैं। यह ट्रेंड आने वाले समय में और बढ़ने की उम्मीद है।
रिलायंस के आने से ग्राहकों की बल्ले-बल्ले
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि ई-फार्मेसी कारोबार में रिलायंस रिटेल के आने से ग्राहकों को फायदा बढ़ने वाला है। रिलायंस के कारोबारी मॉडल को देंखे तो जियो से लेकर जियो प्लेटफॉर्म्स के जरिये ग्राहकों को अपने साथ जोड़ने के लिए रिलायंस बंपर छूट देती है। ई-फार्मेसी कारोबार में भी यह मॉडल लागू हो सकता है। इसके साथ ही अमेजन और फ्लिपकार्ट के आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ना तय है। इससे ऑनलाइन दवा खरीद पर ई-कॉमर्स जैसा डिस्काउंट का दौर देखने को मिल सकता है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक भारत में हर 10 में से एक दवाई नकली होती है। एसोचैम के अनुसार भारत के घरेलू दवाओं के बाजार में 25 प्रतिशत नकली दवाएं मिलती हैं। ई-फार्मेसी की पहुंच देश के हर कोने तक होने से नकली दवा के कारोबार पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। ई-फार्मेसी कंपनियां डिस्ट्रिब्यूटर्स के लिए कठिन नियम से लेकर, प्रिसक्रिप्शन की कड़ी जांच जैसे कदम उठाती है। इससे नकली दवा पर नकेल कसने में मदद मिलेगी।
मेडिकल स्टोर इंडस्ट्री ने फार्मेसी बिजनेस में दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी ऐमजॉन की एंट्री का विरोध किया है। इंडस्ट्री ने इसे गैर-कानूनी बताते हुए ऐमजॉन को कोर्ट में घसीटने की धमकी दी है। इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को पत्र लिखा है। इससे पहले भी मेडिकल स्टोर्स इंडस्ट्री ने ई-फार्मेसी पर रोक लगाने की मांग की थी। यह मामला कोर्ट में पहुंचा था। उसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने कानून लाकर इस कारोबार को वैध किया था।#SHARE#COMMENT#AmbalaBreakingNews