
आसान नहीं है सरकार के लिए चंडीगढ़ टू बरोदा का सफर , ये हैं मुख्य वजह
जी हां , सरकार के लिए चंडीगढ़ से बरोदा तक का सफर आसान नहीं है। ये सफर सरकार के लिए उन तमाम मुश्किलों से भरा होगा , जिनकी वजह से आज हर वर्ग सड़क पर सरकार के खिलाफ नजर आ रहा है
। गरीब , किसान , मजदूर और कर्मचारियों के लिए हितकारी बताए जा रहे सरकार के फैसले अभी तक इन सभी वर्गों को रास नहीं आ रहे। ऐसे में बरोदा उपचुनावों का बिगुल बजना सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित होने वाला है। ये वो दौर है जब हर वर्ग सरकार को जमकर कोस रहा है ऐसे में क्या जनता बरोदा में कमल खिलाएगी ये बड़ा सवाल है।
लेकिन बरोदा में फिलहाल कमल खिलता नजर नहीं आ रहा। ऐसा हम क्यों कह रहे हैं वो जानने के लिए इन कारणों पर भी नजर घुमा लें।
1- नाराज़ किसान
आज किसानों को मनाना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। कृषि कानूनों के बाद किसान न सिर्फ केंद्र की मोदी सरकार बल्कि प्रदेश की खट्टर-दुष्यंत की जोड़ी को भी जमकर कोस रहा है। ऐसे में किसानों का मुद्दा बरोदा में कमल खिलने से पहले ही उसकी जड़ें काट सकता है।
2- PTI टीचर भी हैं नाराज़
PTI टीचरों के धरने को हरियाणा में चलते कई महीने बीत गए मगर उनकी सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में अगर PTI टीचर सरकार के खिलाफ प्रचार शुरू कर दें तो भी कमल का खिलना मुश्किल होगा।
3- खट्टर-दुष्यंत की जोड़ी की घटती लोकप्रियता
आज के समय में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री की जोड़ी उस दौड़ में सबसे आगे है जहां लोग इन दोनों नेताओं को कोसने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे।ऐसे में दोनों नेताओं के लिए जनता का दिल और विश्वास जीत पाना भी टेडी खीर साबित होगा।
4- विरोधी दलों की रणनीति
हरियाणा में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और अभय सिंह चौटाला की अगुवाई में चल रही इंडियन नेशनल लोकदल भी जनता का विश्वास जीतने का हर संभव प्रयास कर रही है। इतना ही नहीं रूठों को मनाने की कवायद की खबरें भी अंदर खाते आनी शुरू हो गई हैं। ऐसे में अगर किसी नेता की घर वापसी होती है तो वो हैरानी की बात नहीं होगी , लेकिन सत्ताधारियों के माथे पर चिंता की लकीरें जरूर बढ़ जाएंगी।
5- उम्मीदवार का चेहरा होगा हार-जीत का निर्णायक पैंतरा
वोट की चोट सरकार को जनता देगी या फिर बरोदा में भाजपा जीत का परचम लहराएगी इसका फैसला तो जनता जनार्दन ही करेगी। लेकिन अगर बीजेपी के मंत्री और नेताओं के बयानों पर गौर करें तो बरोदा में बीजेपी अपना उम्मीदवार उतारेगी , ऐसे में अगर गठबंधन का फर्ज निभाते हुए जजपा अपने उम्मीदवार को बिठा देगी तो खुद को टिकट का दावेदार मान रहे नेताओं की अप्रत्यक्ष बगावत भी इस चंडीगढ़ टू बरोदा के सफर को और मुश्किल भरा बना देगी। वहीं सत्ताधारी पार्टी के सामने विरोधी दल अपने कौन से नेता मैदान में उतारेगी यह भी काफी मायने रखता है।